Wednesday, 2 May 2018

दरिद्रता और दु:ख का नाश करने वाला दारिद्रयदहन शिव स्तोत्र


ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित दारिद्रयदहन शिवस्तोत्र

विश्वेशराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्ति धवलाय जटाधराय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।१।।

भावार्थ–समस्त चराचर विश्व के स्वामीरूप विश्वेश्वर, नरकरूपी संसारसागर से उद्धार करने वाले, कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले, अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषणरूप में धारण करने वाले, कर्पूर की कान्ति के समान धवल वर्ण वाले, जटाधारी और दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।१।।

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय।
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
द्रारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।२।।

भावार्थ–माता गौरी के अत्यन्त प्रिय, रजनीश्वर (चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले, काल के भी अन्तक (यम) रूप, नागराज को कंकणरूप में धारण करने वाले, अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले, गजराज का विमर्दन करने वाले और दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।२।।


भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।३।।

भावार्थ–भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय के विनाशक, संहार के समय उग्ररूपधारी, दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले, ज्योति:स्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।३।।

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डल मण्डिताय।
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।४।।

भावार्थ–व्याघ्रचर्मधारी, चिताभस्म को लगाने वाले, भालमें तीसरा नेत्र धारण करने वाले, मणियों के कुण्डल से सुशोभित, अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी और दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।४।।

पंचाननाय फणिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय।
आनन्दभूमि वरदाय तमोमयाय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।५।।

भावार्थ–पांच मुख वाले, नागराजरूपी आभूषणों से सुसज्जित, सुवर्ण के समान वस्त्र वाले अथवा सुवर्ण के समान किरणवाले, तीनों लोकों में पूजित, आनन्दभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले, सृष्टि के संहार के लिए तमोगुणाविष्ट होने वाले तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।५।।

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।६।।

भावार्थ–सूर्य को अत्यन्त प्रिय अथवा सूर्य के प्रेमी, भवसागर से उद्धार करने वाले, काल के लिए भी महाकालस्वरूप, कमलासन (ब्रह्मा) से सुपूजित, तीन नेत्रों को धारण करने वाले, शुभ लक्षणों से युक्त तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।६।।

रामप्रियाय रघुनाथ वरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।७।।

भावार्थ–मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम को अत्यन्त प्रिय अथवा राम से प्रेम करने वाले, रघुनाथजी को वर देने वाले, सर्पों के अतिप्रिय, भवसागररूपी नरक से तारने वाले, पुण्यवानों में अत्यन्त पुण्य वाले, समस्त देवताओं से सुपूजित तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।७।।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।
मातंगचर्म वसनाय महेश्वराय
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।८।।

भावार्थ–मुक्तजनों के स्वामीरूप, चारों पुरुषार्थों के फल को देने वाले, प्रमथादिगणों के स्वामी, स्तुतिप्रिय, नन्दीवाहन, गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले, महेश्वर तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।८।।

स्तोत्र पाठ का फल

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोग निवारणम्
सर्व सम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादि वर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।
दारिद्रय दु:ख दहनाय नमः शिवाय।।९।।

भावार्थ–ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र समस्त रोगों को दूर करने वाला, शीघ्र ही समस्त सम्पत्तियों को प्रदान करने वाला और पुत्र-पौत्रादि वंश-परम्परा को बढ़ाने वाला है। इस स्तोत्र का जो मनुष्य नित्य तीनों कालों में पाठ करता है, उसे निश्चय ही स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।९।।

।।इति श्रीवशिष्ठरचितं दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।

सूर्य स्तोत्र - यश, सफलता और धन


21 नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है
अगर चाहिए सफलता, यश और अपार धन.. .अगर आपकी भी है यही अभिलाषा तो अवश्य पढ़ें एक ऐसा स्तोत्र जो भगवान सूर्य को समर्पित है।

भगवान सूर्य की स्तुति तो सभी करते हैं। लेकिन भगवान सूर्य का एक ऐसा कल्याणमय स्तोत्र, जो सब स्तुतियों का सारभूत है। जो भगवान भास्कर के पवित्र, शुभ एवं गोपनीय नाम हैं।

सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥

'विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार 21 नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।' (ब्रह्म पुराण : 31.31-33)

यह शरीर को निरोग बनाने वाला, धन की वृद्धि करने वाला और यश फैलाने वाला स्तोत्रराज है। इसकी तीनों लोकों में प्रसिद्धि है। जो सूर्य के उदय और अस्तकाल में दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र के द्वारा भगवान सूर्य की स्तुति करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।

चारों दिशा में विजय दिलाता है "पाशुपतास्त्र स्तोत्र"


पाशुपतास्त्र स्तोत्र का मात्र 1 बार जप करने पर ही मनुष्य समस्त विघ्नों का नाश कर सकता है। 100 बार जप करने पर समस्त उत्पातों को नष्ट कर सकता है तथा युद्ध आदि में विजय प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र का घी और गुग्गल से हवन करने से मनुष्य असाध्य कार्यों को पूर्ण कर सकता है।

इस पाशुपतास्त्र मंत्र के पाठ मात्र से समस्त क्लेशों की शांति हो जाती है। चारों दिशा से विजय दिलाता है यह चमत्कारी स्तोत्र...
स्तोत्रम्
ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिद्धिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे।

ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट। हूंकारास्त्राय फट। वज्र हस्ताय फट। शक्तये फट। दण्डाय फट। यमाय फट। खडगाय फट। नैऋताय फट। वरुणाय फट। वज्राय फट। पाशाय फट। ध्वजाय फट। अंकुशाय फट। गदायै फट। कुबेराय फट। त्रिशूलाय फट। मुदगराय फट। चक्राय फट। पद्माय फट। नागास्त्राय फट। ईशानाय फट। खेटकास्त्राय फट। मुण्डाय फट। मुण्डास्त्राय फट। काड्कालास्त्राय फट। पिच्छिकास्त्राय फट। क्षुरिकास्त्राय फट। ब्रह्मास्त्राय फट। शक्त्यस्त्राय फट। गणास्त्राय फट। सिद्धास्त्राय फट। पिलिपिच्छास्त्राय फट। गंधर्वास्त्राय फट। पूर्वास्त्रायै फट। दक्षिणास्त्राय फट। वामास्त्राय फट। पश्चिमास्त्राय फट। मंत्रास्त्राय फट। शाकिन्यास्त्राय फट। योगिन्यस्त्राय फट। दण्डास्त्राय फट। महादण्डास्त्राय फट। नमोअस्त्राय फट। शिवास्त्राय फट। ईशानास्त्राय फट। पुरुषास्त्राय फट। अघोरास्त्राय फट। सद्योजातास्त्राय फट। हृदयास्त्राय फट। महास्त्राय फट। गरुडास्त्राय फट। राक्षसास्त्राय फट। दानवास्त्राय फट। क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट। त्वष्ट्रास्त्राय फट। सर्वास्त्राय फट। नः फट। वः फट। पः फट। फः फट। मः फट। श्रीः फट। पेः फट। भूः फट। भुवः फट। स्वः फट। महः फट। जनः फट। तपः फट। सत्यं फट। सर्वलोक फट। सर्वपाताल फट। सर्वतत्व फट। सर्वप्राण फट। सर्वनाड़ी फट। सर्वकारण फट। सर्वदेव फट। ह्रीं फट। श्रीं फट। डूं फट। स्त्रुं फट। स्वां फट। लां फट। वैराग्याय फट। मायास्त्राय फट। कामास्त्राय फट। क्षेत्रपालास्त्राय फट। हुंकरास्त्राय फट। भास्करास्त्राय फट। चंद्रास्त्राय फट। विघ्नेश्वरास्त्राय फट। गौः गां फट। स्त्रों स्त्रौं फट। हौं हों फट। भ्रामय भ्रामय फट। संतापय संतापय फट। छादय छादय फट। उन्मूलय उन्मूलय फट। त्रासय त्रासय फट। संजीवय संजीवय फट। विद्रावय विद्रावय फट। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट।

Saturday, 17 March 2018

|| श्री शनि चालीसा ||

जय गनेश गिरिजा सुवन. मंगल करण कृपाल.
दीनन के दुःख दूर करि. कीजै नाथ निहाल. 

जय जय श्री शनिदेव प्रभु. सुनहु विनय महाराज.     
करहु कृपा हे रवि तनय. राखहु जन की लाज. 
जयति जयति शनिदेव दयाला. करत सदा भक्तन प्रतिपाला.
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै. माथे रतन मुकुट छवि छाजै.
परम विशाल मनोहर भाला. टेढ़ी दृश्टि भृकुटि विकराला.
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके. हिये माल मुक्तन मणि दमके.
कर में गदा त्रिशूल कूठारा. पल बिच करैं अरिहिं संसारा.
पिंगल, कृश्णों, छाया, नन्दन. यम कोणस्थ, रौद्र, दुःखभंजन.
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा. भानु पुत्र पूजहिं सब कामा.
जापर प्रभु प्रसन्न हो जाहीं. रंकहुं राव करै क्षण माहीं. 
पर्वतहु तृण होई निहारत. तृणहु को पर्वत करि डारत. 
राज मिलत बन रामहिं दीन्हा. कैकेइहुँ की मति  हरि लीन्हा.
बनहूँ में मृग कपट दिखाई. मातु जानकी गई चुराई.
लक्षमन विकल शक्ति के मारे. रामा दल चनंतित बहे सारे 
रावण की मति गई बौराई. रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई.
दियो छारि करि कंचन लंका. बाजो बजरंग वीर की डंका.
नृप विकृम पर दशा जो आई. चित्र मयूर हार सो ठाई.
हार नौलख की लाग्यो चोरी. हाथ पैर डरवायो तोरी.
अतिनिन्दा मय बिता जीवन. तेलिहि सेवा लायो निरपटन.
विनय राग दीपक महँ कीन्हो. तव प्रसन्न प्रभु सुख दीन्हो.
हरिश्चन्द्र नृप नारी बिकाई. राजा भरे डोम घर पानी.
वक्र दृश्टि जब नल पर आई. भूंजी- मीन जल बैठी दाई.
श्री शंकर के गृह जब जाई. जग जननि को भसम कराई.
तनिक विलोकत करि कुछ रीसा. नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा.
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी. अपमानित भई द्रौपदी नारी.
कौरव कुल की गति मति हारि. युद्ध महाभारत भयो भारी.
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला. कुदि परयो ससा पाताला.
शेश देव तब विनती किन्ही. मुख बाहर रवि को कर दीन्ही.
वाहन प्रभु के सात सुजाना. जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना.
कौरव कुल की गति मति हारि. युद्ध महाभारत भयो भारी.
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला. कुदि परयो ससा पाताला.
शेश देव तब विनती किन्ही. मुख बाहर रवि को कर दीन्ही.
वाहन प्रभु के सात सुजाना. जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना.
जम्बुक सिंह आदि नख धारी सो फ़ल जयोतिश कहत पुकारी.
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवै.हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं.
गदर्भ हानि करै बहु काजा. सिंह सिद्ध कर राज समाजा.
जम्बुक बुद्धि नश्ट कर डारै . मृग दे कश्ट प्राण संहारै.
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी. चोरी आदि होय डर भारी.
तैसहि चारि चरण यह नामा. स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा.
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं. धन जन सम्पति नश्ट करावै.
समता ताम्र रजत शुभकारी. स्वर्ण सदा सुख मंगल कारी.
जो यह शनि चरित्र नित गावै. दशा निकृश्ट न कबहुं सतावै.
नाथ दिखावै अदभुत लीला. निबल करे जय है बल शिला.
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई. विधिवत शनि ग्रह शांति कराई.
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत. दीप दान दै बहु सुख पावत. 
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा. शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा.

|| दोहा ||
पाठ शनिचर देव को, कीन्हों विमल तैयार. 
करत पाठ चालीसा दिन, हो दुख सागर पार.

Tuesday, 9 January 2018

सूर्य के पुत्र और यम के भाई शन‍ि देव


दशरथ कृत शनि स्तोत्र


जो भी जातक शनि ग्रह, शनि साढ़ेसात‍ी, शनि ढैया या शनि की महादशा से पीड़ित हैं उन्हें दशरथ कृत शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। इस पाठ को नियमित करने से भगवान शनि प्रसन्न होते हैं तथा जीवन की समस्त परेशानियों से मुक्ति दिलाकर जीवन को मंगलमय बनाते हैं...

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु  मे  देव  वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल:।। 


Thursday, 23 November 2017

करोड़पति बना देगा ये मंत्र !


वेदों में कई ऐसे मंत्र हैं जो आपको जमीन से आसमान तक पहुंचा सकते हैं। अगर आप भी करोड़पति बनने के सपने सजा रहे हैं तो इस मंत्र का जाप करना न भूलें। शास्त्रों में कुछ ऐसे मंत्र हैं जिनका जाप करने से चुटकी बजाते ही बड़ी से बड़ी समस्या दूर हो जाती है। साथ ही इन मंत्रो से अथाह धन कमाने की इच्छा भी पूरी हो सकती है।  तो चलिए हम आपको बताते है धन प्राप्ति मंत्र के बारे में 

1. आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये मंत्र- शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोग दो वक्त की रोटी खाने से भी वंचित हैं उनके लिए भी श्रीकृष्ण मंत्र प्रदान किया गया है।

गोवल्लभाय स्वाहा मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक तंगी में सुधार आता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस सात अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जाप जो भी व्यक्ति करता है उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही धन की कामना करने वाले व्यक्ति को इस मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र के सवा लाख होते ही आर्थिक स्थिति में आश्चर्यजनक रूप से सुधार होने लगता है।

2. मंत्र जो आपको करोड़पति बनाए कम समय में असीमित धन पाना चाहते हैं तो आप श्रीकृष्ण के एक और मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह मंत्र आपके करोड़पति बनने का मार्ग प्रशस्त करता है।

श्रीकृष्ण मंत्र — ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा। धर्म ग्रंथों में उल्लिखित यह मंत्र भगवान कृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है। इस मंत्र का सौ या दो सौ नहीं, बल्कि पूरे पांच लाख बार जाप करने से ही फल प्राप्त होता है।

3. कर्ज, रोजगार और प्रमोशन के लिए- ऐसे लोग जो कर्ज, बेरोजगारी और प्रमोशन नहीं होने की समस्या से जूझ रहे है उन्हें — ॐ नम: शिवाय श्रीं प्रसादयति स्वाहा का जाप करना चाहिए रोजाना इस मंत्र का 1008 बार जाप करना चाहिए। लगातार इस उपाय को करने से जल्दी ही समस्या का समाधान होता है।

दरिद्रता और दु:ख का नाश करने वाला दारिद्रयदहन शिव स्तोत्र

ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित दारिद्रयदहन शिवस्तोत्र विश्वेशराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय। कर्पूरकान्ति धवलाय जटाधराय दा...